आतंकवादी संगठन हिज्बुल्ला के वरिष्ठ आतंकवादी की मौत पर महबूबा भी और उमर अब्दुल्ला भी शोक मना रहे हैं। इसी शोक में मैडम मुफ्ती एक दिन चुनाव प्रचार नहीं कर रही ऐसी उसने घोषणा की। उमर और महबूबा को बताना होगा कि जब बंगलादेश में हिंदुओं पर इतना अत्याचार हुआ, उनके मकान, दुकान जलाए गए, मंदिर तोड़े गए, महिलाओं को अपमानित किया गया उस समय महबूबा को दर्द क्यों नहीं हुआ।
पाकिस्तान में बेबस बेटियों के पिता जब सड़क पर बैठ कर अपनी बेटियों की इज्जत और सुरक्षा के लिए चिल्लाते रहे तब भी मुफ्ती खामोश रही। विदेश की बात तो छोड़ें कश्मीर में महबूबा की बहन के अपहरण का जो नाटक हुआ और उसके बाद आतंकवादियों को मुक्त करवाकर जो हिंदू विरोधी हिंसा पूरे कश्मीर में फैली उस समय भी महबूबा और उसका स्वर्गीय पिता मुस्कुरा रहे थे। आतंकवादियों के लिए देश में इन्होंने कत्लेआम करवाया।
देश की कुछ दरगाहों में से भी नसरोला के लिए छाती पीटने का काम चल रहा है। भारत सरकार से मेरा यह आग्रह है कि ऐसे देश विरोधी और हिंदू विरोधी नेताओं को भारत के कानून के अनुसार कठोरतम दंड दे। राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत सलाखों में बंद करे।
लक्ष्मीकांता चावला
लेखिका-पंजाब की पूवर् अकाली-भाजपा सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रह चुकी है।