Punjab Drug News: नशे के दलदल में पंजाब की जवानी इस कदर धंसी हुई है कि इससे उबरने के लिए जितना ही प्रयास किया जा रहा है उतना ही युवा इसमें धंसते चले जा रहे हैं। इसका आंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नशा पंजाब की सियासत का शीर्ष मुद्दा बन गया है।
कुछ ही महीनों में पंजाब से नशा खत्म करने के नाम पर सूबे में पहले कांग्रेस और अब आम आदमी पार्टी की सरकार हुकूमत कर रहे है, लेकिन नशे का नश्तर आम आदमी को अब भी चुभ रहा है, जिसे खत्म करने दंभ सियासी पार्टियां भरती रही हैं। यही नहीं नशा तस्करों पर नकेल कसने की जिम्मेदारी संभालने वाली पुलिस कुछ अधिकारी और कर्मचारी भी चिट्टे के काले खेल में आकंठ डूबे हुए हैं।
यह है कि कभी जिस पगड़ी संभाल जट्टा की बात होती है आज उसी जट्टे की पगड़ी संभल नहीं पा रही और वह नशे में झूमता हुए या सड़क किनारे लुढ़का हुआ नजर आता है। पंजाब में नशा इस कदर हावी हो चुका है कि खाकी पहने पुलिस कर्मी भी सड़को औंधे मुंह गिरे नजर आते हैं या फिर थाने बैठ कर जाम छलकाते हुए यदाकदा उनकी वीडियो वायरल हो जाती है।
‘उड़ता पंजाब’ कहे जाने वाले पंजाब में नशीले पदार्थो की तस्करी एक बहुचर्चित आपराधिक, राजनीतिक और सामाजिक मुद्दा बना हुआ है। ऐसा नहीं है की पंजाब की सरकार नशे को खत्म करना नहीं चाहती। नशे पर नकेल कसने के लिए यहां की सरकार ने एक विशेष कार्य बल (एसटीएफ) का गठन किया है। यहां तक कि अब नशा तस्करों को चल अचल संपत्तियों को भी जब्त किया जाने लगा है। पर इतना सबकुछ करने और हाथ पैर मारने के बावजूद इसके छिंटे खाकी से लेकर ‘खादी’ तक पर पड़ रहे हैं। लेकिन इन सबके बीच संतोष जनक बात यह है कि एनसीआरबी (राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ) द्वारा पिछले साल जारी रिपोर्ट के अनुसार नशीले पदार्थों की तस्करी और इसके उपयोग के मामलों में पंजाब अब तीसरे अस्थान पर आ गया है।
उत्तर प्रदेश पहले और पंजाब तीसरे स्थान पर
एनसीआरबी द्वारा जारी ऐक रिपोर्ट के अनुसार एनडीपीएस अधिनियम के तहत दर्ज 10, 432 मामलों के साथ उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर है। जबकि महाराष्ट्र 10, 078 मामलों के साथ दूसरे और 9, 972 मामलों के साथ पंजाब तीसरे स्थान है।
पंजाब की 15.4 प्रतिशत आबादी कर रही है नशे का सेवन
चंडीगढ़ स्थित पीजीआईएमईआर (पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च) की रिपोर्ट के अनुसार सामुदायिक चिकित्सा विभाग की ओर से जारी किताब ‘रोडमैप फार प्रिवेंशन एंड कंट्रोल आफ सब्सटेंस एब्यूज इन पंजाब’ (‘Roadmap for Privatization and Control of Substance Abuse in Punjab’) के दूसरे संस्करण में दावा किया गया है कि 30 लाख से अधिक लोग यानि पंजाब की लगभग 15.4 प्रतिशत आबादी इस समय विभिन्न नशीले पदार्थों का सेवन कर रही है।
7500 करोड़ रुपये के नशीले पदार्थों का हर साल पंजाब में होता धंधा
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार देश के सीमावर्ती राज्य पंजाब में प्रति वर्ष करीब 7, 500 करोड़ रुपये के विभिन्न नशीले पदार्थों का काला धंधा होता है। काले काले धंधे की कालीख पंजाब के विभिन्न दलों के नेताओं और खाकी पर पर भी लगते रहे हैं।
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पंजाब के सीमवर्ती जिला अमृतसर के मकबूलपुरा को अनाथों और विधवाओं के गांव के रूप में जाना जाता है, क्योंकि यहां नशीली दवाओं के अधिकांश पीड़ित वहीं से आते हैं। इसके अलावा अमृतसर के ही अन्नगढ़ और तरनतारन की सिंगल बस्ती भी नशा पीड़ितों का गढ़ माना जाता है।
पिछले साल अगस्त में, राज्य भर में संवेदनशील मार्गों पर गश्त करने के अलावा नशा प्रभावित क्षेत्रों में महीने भर की घेराबंदी और तलाशी अभियान चलाने के बाद पंजाब पुलिस ने दो सौ से अधिक शीर्ष अपराधियों सहित दो हजार से अधिक नशा तस्करों को काबू किया।
इसी तरह पंजाब पुलिस ने प्रदेशभर से 30 किलो हेरोइन, 75 किलो अफीम, नौ किलो गांजा और 185 क्विंटल चूरा चूरा, 12.56 लाख प्रतिबंधित दवाएं बारमद किए हैं।
बता दें कि पंजाब अफीम, भांग या उनके डेरिवेटिव का उत्पादन नहीं करता है और न ही यह साइकोट्रोपिक दवाओं का निर्माण करता है, फिर भी पंजाब में यह नशा बहुतायत उपलब्ध हैं। पंजाब का ‘चिट्टा’, एक सिंथेटिक हेरोइन व्युत्पन्न है, जिसने वर्ग, लिंग, आयु और स्थान के लोगों के जीवन को बुरीर तरह प्रभावित कर रहा है।
पंजाब में कहां से आता है नशा
उल्लेखनीय है कि पंजाब में अफीम की खेती नहीं की जाती और ना ही यहां गांजा, भांग और तंबाकू उत्पाद उगाए जाते हैं, फिर भी पंजाब देश में हेरोइन की कुल बरामदगी का पांचवां हिस्सा है। पंजाब में राजस्थान के गंगानगर, हनुमानगढ़ जिले और जम्मू-कश्मीर के कठुआ, मध्य प्रदेश आदि राज्यों से अफीम और चूरापोस्त की तस्करी ट्रक चालकों या अन्य स्रोतों से की जाती है। जबकि, हेरोइन की तस्करी पाकिस्तान के जरिए पंजाब के सीमावर्ती जिलों के गांवों में की जाती है। आजकल नशाखोर पहचान से बचने के लिए नए-नए तरीके ईजाद कर रहे हैं। नशीले पदार्थो को प्याज से लदे ट्रकों में छिपाकर गुजरात से पंजाब भेजा जाता है या गंध को दबाने के लिए जीरा के साथ पैक किया जाता है।