एक ऐसा मठ जो है विवादों में, चार लोगो ने ठोकी दाबेदारी
रजनीश कुमार मिश्र बाराचवर (गाजीपुर): उत्तर प्रदेश के पुर्वांचल के आखरी छोर व गंगा किनारे बसा गाजीपुर जिला जो अतिप्राचीन नगरी हैं,प्राचीन समय मे इस जगह बहुत से संतो ने निवास किया व मठ स्थापित कर सनातन धर्म का प्रचार प्रसार किया ।युग बदला मठो के मठाधीश बदले और अपनी अपनी दाबेदारी पेश कर विवाद पैदा कर दिया।जी हां हम बात कर रहें हैं उत्तर प्रदेश के इसी अतीप्राचीन नगरी गाजीपुर जिले की इसी जिले के एक मठ पर चार चार मठाधीशो ने दावेदारी पेश कर मठ को गर्त मे डुबो दिया। गाजीपुर जिला मुख्यालय से करीब चालीस किलोमीटर व बाराचवर ब्लाक मुख्यालय से चार किलोमीटर बाराचवर गांव से दक्षिण तरफ शंकराचार्य के जमाने का मठ आज भी मौजूद है।जहां चार चार मठाधीश अपनी दाबेदारी पेश कर मुकदमा लड़ने लगें और इस मठ को गर्त मे ढकेल दिया कहा जाता हैं, की इस मठ को शंकराचार्य ने स्थापित किया था।और वहां लोगों को रहने के लिए स्थान दिया था।जो अब मठिया के नाम से मशहूर हो चुकां है।यहां के बुर्जुग बताते हैं,की इस मठ को बाराचवर व पलिया गांव के राजपूत अपनी अपनी जमीनें दान में दिया था।
सन् 1995 में घीरा मठ विवादो में
इस मठ पर बसे एक बुर्जुग हरिद्वार खरवार ने बताया की सन् 1895 से 1995त रामेश्वर पुरी इस प्राचीन मठ के अठ्ठारहवा महंत थे। उनकी मृत्यु के बाद इस मठ पर उत्तराधिकारी के तौर पर विवाद पैदा हो गया। द्वारिका खरवार ने बताया की दयाशंकर पुरी,लक्ष्मण पुरी,महेंन्द्र पुरी और शिवदत्त पुरी ने अपनी अपनी दाबेदारी पेश कर कानूनी अड़चन पैदा कर दिया।जिसके वजह से आज ये मठ रखरखाव न होने के कारण खंडहर मे तब्दील हो चुका है।
स्थानीय लोगों ने बताया की इस मठ पे महंत न होने के कारण यहां की जमीनों को यहां के लोग अपने कब्जे मे लेकर अतिक्रमण कर चुके हैं।यहां के स्थानीय लोगो ने बताया की इस समय यहां किसी संत को रहने के लिए कोइ अवास नहीं हैं,जो मिट्टी के पुराने अवास थे। वो भी खंडहर मे तब्दील हो चुका हैं। लोगों का कहना हैं की जब तक इस मठ के महंत रामेश्वर पुरी थे.तब तक यहां सब ठीक था।उनके समय में इस मठ पे हमेशा संतो का जमावड़ा रहता था,लोग बताते है,की यहां जो खेती होती हैं।उसे जो भी आता हैं, लेकर चला जाता है।
कभी हुआं करता था, अकुत संपत्ति
एक वो दौर था,जब यहां संपत्तियों का भंडार था।45 बीघे मे फैला ये मठ अपने अनुपम छठा को बिखेरता हुआअपनी पहचान को दर्शाता था।बुर्जुग बताते हैं,की ये मठ चारो तरफ बागो से घीरा हुआं था । लोगो ने बताया की मठ के नाम से एक ईट भठ्ठा भी हुआ करता था,उस दौर में इन सबके पैसों से महंत जी यहां संतो को रहने व खाने पिने की व्यवस्था करते थे।उस समय यहां किसी चीज की कोइ कमी नहीं थी।जीस समय महंत जी थे यहां बसे लोगो का भी ध्यान रखते थे,ग्रामीणों ने बताया की उनके जाने के बाद सब तहस नहस हो गया यहां जो भी आया अपना पेट भरने लगा ।यहां के संपदा को देखते हुए इस मठ पर चार लोग दावेदार हो गये और लुट मचाना शुरू कर दिया।अब आलम यह है,की यहां भगवान भी खुले आसमान के निचे बिराजमान हैं।यहां की जमीन जो अन्य पैदा करती हैं,वो लूट घशोट मे ही समाप्त हो जाता हैं।आलम ये है, की अगर कोइ संत आजाये उसे खाने के लाने पड़ जाते हैं।वहीं कुछ ग्रामीणों ने बताया की यहां के महंत रामेश्वर पुरी के पास कुछ सोने और चांदी का भंडार भी था।उनके स्वर्गवास हो जाने के बाद उस भंडार का कुछ पता नहीं चला।
एक महंत के उपर लग चुका है,चोरी का आरोप
मठ के कार्यकर्ता गुलाब पांडेय ने बताया की सन् 1970के आस पास महंत जी मठ की खेती करने के लिए उस समय ट्रेक्टर खरिदे थे।उस समय ड्राइवर के रूप में महेन्द्र उपध्याय जो अब जिवीत नहीं हैं उनको रखा गया था, कुछ सालो बाद उस ट्रेक्टर को लेकर वो फरार हो गये।काफी खोजबीन के बाद बीहार मे पकड़े गये ,गुलाब पान्डेय ने बताया की उस समय उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया गया था। और कुछ सालो बाद कोर्ट ने उनको दो साल की सजा भी सुना दिया।गुलाब पान्डेय कहते हैं,की इस मठ के दावेदारों मे ये नही थे लेकिन वकीलो ने कहा की अगर सजा से बचना हैं,तो आप मठाधीश का दावेदारी पेश कर दीजिए।तब महेन्द्र उपध्याय ने उस समय के कानून के हिसाब से महंती का दावेदारी पेश कर दिया ।गुलाब पान्डेय के अनुसार इस.मठ का वारीस महंत जी लक्ष्मण सिंह को बनाना चाहते थे।उस समय रामेश्वर पुरी लक्ष्मण सिंह महंत बनाने के इनका मुंडन करा कर गोद भी ले लिया था ।तभी गांव के कुछ संमानित लोग इनका विरोध करना शुरू कर दिया ।यहां के लोग चाहते थे की यहां किसी ब्राह्मण को उत्तराधिकारी बनाया जाय गोंद लेने के कुछ सालो बाद लक्ष्मण सिंह के बारे में कुछ ऐसी जानकारी मिली तभी महंत रामेश्वर पुरी इनको वहां से हटा दिये।गुलाब पान्डेय ने बताया की महंत जी ने कहा की मै ऐसा जाल बिताऊंगा की कोई भी यहां महंत नहीं बन पायेगा।और हुआं भी ऐसा आज तक कानून कोइ भी यहां का महंत नहीं बन पाया ।सभी की दावेदारी कानूनी पचड़े में.फसी हुई है।गुलाब पान्डेय ने कहा की दावेदारों की लिस्ट से अब लक्ष्मण सिंह का भी नाम हट गया है।क्यो उनका भी सन्2014 में देहांत हो चुका है।
सन् 1960 मे मंदिर का नक्काशी युक्त हुआं, निर्माण
इस मठ के बगल मे बसे हरिद्वार खरवार ने बताया की ये मठ लगभग चार सौ साल पुराना हैं,लेकिन इस मठ पुराना हैं।
लेकिन इस मठ पर मंदिर का निर्माण सन् 1960 मे हुआ था।इस मंदिर के अंदर अती सुन्दर कला कृतियो का नमुना पेश किया गया था।जिसे देखने के बाद मन में एक हलचल सी मच जाती थी।हरिद्वार खरवार ने बताया की यहां भगवान भोले नाथ का मंदिर का निर्माण कराया गया था,हो सकता हो इससे पहले भी मंदिर हो ये तो पुराने लोग ही बता सकते हैं।
लेकिन ये मठ ऐसे विवाद में फसा की आज के समय भगवान खुद ही बीवस हो खुले आसमान के निचे विराजमान हो गये।यहा वो आलम है की यहां जो भी पूजा पाठ के नाम पर आया अपना झोली भरता बैंक बैलेंस करता और चला जाता।लोगो ने बतया की मठ के जमीन पर कुछ स्थानीय लोग भी जबरन कुंडली गाड़ बैठे हुए हैं।यहां का आलम ये है की भगवान को दो वक्त का भोग लगाने के लिए देखना पड़ता है। इस मठ पर भगवान राम और जानकी जी का भी मंदिर बनाया गया है,इनके उपर किसी तरह ग्रामीणों के सहयोग से एक छत का निर्माण करा दिया गया है।परन्तु मुख्य मंदिर अपने भव्यता को.छोड़ मठाधीशो के जाल मे फस कर गर्त मे जा चुका है।
इस मठ पर है दबंग, नहीं टिकता कोई महंत
इस ऐतिहासिक मठ का आज के समय में आलम ये हैं,की यहां महंतो का नहीं दबंगों का राज चलता है।जी हा सुनने मे अटपटा जरुर लग रहा होगा।लेकिन ये बात सोलह आने सत्य है,स्थानीय निवासियों के अनुसार ये लोग अपना भारत न्यूजट्रैक टीम को बताया की यहां के जो महंत के दावेदार है।वो लोग तो कानूनी पचड़े मे फसे हुएं है,लेकिन कोइ पुजारी यहां भगवान के पुजा करने के मद से आ जाये तो उसे मठ के बगल मे बसे कुछ व बाराचवर गांव के कुछ दबंग किस्म के लोग पुजारी को ठहरने नहीं देते।ग्रामीणों ने बताया की पुजारी की तो छोड़िए हम लोगों को भगाने की भी धमकी देते रहते हैं।और यहां के लोग भय के मारे चुप रह जाते है।नाम न छापने के शर्त पर बताते है,की यहां के एक व्यक्ति द्वारा मठ की कुछ जमीन पर जबरन.अतिक्रमण कर रखा हैं।लाख कहने बावजूद भी मड कु जमीन को अपने कब्जे मे कर रखा है।तो वहीं मठ के बगल मे बसे मड़िलहा गाव निवासी रामनाथ राम भी मठ की जमीन पर अबैध कब्जा कर रखा ।वहीं गुलाब पान्डेय ने बताया की मड़िलहा गांव नीवासी रामनाथ राम को पुलिस द्वारा भी समझा गया,बावजूद उस जमीन से अतिक्रमण नहीं हटाया।स्थानीय ग्रामीणों ने बताया की वर्तमान में महंत की दावेदारी पेश करने वाले शिवदत्त पुरी इन सबके साथ मिलकर यहां की संपत्तियों को लुटते है।
इस मठ की संपत्ति को जो भी लुटा हुआ कंगाल
कहा जाता हैं, की भगवान के घर मे देर हैं अंधेर नहीं ये कहावत यहां के महंतो पर सटीक बैठती है।यहां की संपत्ति को जो भी लुटा उसका सब कुछ तहस नहस हो गया और वो लोग दाने दाने के लिए मोहताज हो गये।जैसी करनी वैसी भरनी यहां भगवान को खुले आसमान के नीचे रखा वहां वो लोग भी सड़क पे आगये और दाने दाने के लिए मोहताज हो गये।यहां के लोगो ने बताया की एक समय था,जब महेन्द्र उपध्याय (महेन्द्र पुरी) जीनकी मोहम्दाबाद बाजार मे हार्डवेयर की दुकान थी। और रुपये बोरे में भर कर रखा जाता था।लोगो के कहे अनुसार जब वो इस मठ पर दावेदारी पेश कर लुट मचाना शुरू किये तब उनका भी रोड पे आना शुरू हो गया ।लोगों का कहना हैं,की अब तो वो इस दुनिया में नहीं है।लेकिन अब उनके पास बित्ते भर जमीन नहीं बची है,दुकान भी बंद हो गया और उनके लड़के भी शराबी हो गये।
वहीं लक्ष्मण पुरी के बारे मे लोग बताते हैं,की लक्ष्मण पुरी का भी यहीं हाल था।जब तक इस मठ पर उनका आना जाना लगा रहां तब तक वो चैन से नहीं रह पाये ।क्यो ये लोग यहां रहने की नियत से नहीं लुटने की नियत से आते थे,लोगो ने बताया की लक्ष्मण पुरी भी इस दुनिया में अब नहीं ।लोगों का कहना हैं की अगर यहां एक.ट्रस्ट बन जाता तो यहां की संपत्ति सुरक्षित हो जाती और यहां नये सीरे से निर्माण कराकर साधु संतो के रहने लायक बना दिया जाता।वही जब ट्रस्ट के संबंध मे अपना भारत न्यूजट्रैक के प्रतिनिधि ने केश लड़ रहें,शिवदत्त पुरी से बात किया तो उन्होंने कहा की इस मठ के उत्तराधिकारी मै हुं,महंत रामेश्वर पुरी ने मुझे अपना उत्तराधिकारी बनाया था।बाद मे ये लोग अपनी अपनी दावेदारी पेश किये।ट्रस्ट के सवाल पर शिवदत्त पुरी आनाकानी करने लगें और कोई जबाब दिये वगैरह ही फोन रख दिया।
पहले के महंत घुमते है,मठ
इस मठ के पहले के मठाधीशो के बारे मे कहा जाता हैं,की आज भी रात में यहां रहें महंत घुमते हुए दिखाई पड़ते है।लोगों ने बताया की यहां जितने भी महंत हुएं सबकी समाधी यहीं पर बनाया गया हैं,ग्रामीणों के अनुसार इस मठ के महंत रात में इस मठ के चारो तरफ घुमते रहतें हैं।किसी ने देखा तो नहीं लेकिन अपने बुर्जुगों से भी यहीं बात सुना गया है,खैर ये कहां तक सच्चाई हैं,यहां के लोग ही जाने इस बात की पुष्टि झरोखा न्यूज नहीं करता।वहीं इस बारे में कुछ स्थानीय लोगों की अलग ही राय है।वो लोग कहते हैं,की इस सच्चाई के बारे में.हम लोग नहीं जानते क्यो की ऐसी घटना हम लोगो के नजरो के सामने.नहीं घटी हैं