जालंधर: भारत से अलग हो कर ‘जम्हूरिया ए पाकिस्तान’ बने आज 73 साल हो चुके हैं। पाकिस्तान से विस्थापित हो कर आए लोगों के मुताबिक विभाजन के बाद महीनों दोनों नये देशों के बीच भारी संख्या में लोगों का पलायन जारी रहा। पाकिस्तान में बहुत से हिन्दुओं और सिखों को जबरन बेघर कर दिया गया। वहीं भारत में यह सुविधा रही कि जो मुस्लमान भारत में रहना चाहता है वह यहां रह सकता है।
इतिहासकार डॉक्टर सुभाष परिहार के मुताबिक दोनो देशों की सीमा रेखाएं तय होने के बाद लगभग 1.45 करोड़ लोगों ने हिंसा के डर से अपने संप्रदाय के देश में शरण ली। यह दुनिया का सबसे बड़ा मनवीय पलायन था। वे कहते हैं कि विभाजन के बाद 72.26 लाख मुसलमान भारत छोड़कर पाकिस्तान गये। जबकि, 72.49 लाख हिन्दू और सिख पाकिस्तान छोड़कर भारत आए।
ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि पाकिस्तान बनने के बाद पश्चिमी पंजाब से 72.49 लाख सिख और हिंदू भारत में आए उन्हें कहां और कैसे रखा गया। इनके लिए जमीन, मकान और रोजगार का प्रबंध कैसे किया गया।
पश्चिमी पंजाब से 27 लाख हेक्टेयर जमीन छोड़ कर भारत आए थे हिंदी और सिख शरणार्थी
भारत सरकार के राजस्व रिपोर्ट के अनुसार हिंदू और सिख शरणार्थी पश्चिम पंजाब (अब पाकिस्तान) से 27 लाख हेक्टेयर भूमि छोड़ कर भारत आए थे। जबकि, मुसलमानों द्वारा महज 19 लाख हेक्टेयर भूमि छोड़ी गई थी। इस हिसाब से आठ लाख हेक्टेयर जमीन की कमी थी। दूसरी समस्या यह थी कि पश्चिम पंजाब की भूमि उपजाऊ और सिंचित थी। एक समय ये लोग पूर्वी पंजाब से नहर कॉलोनी की तरफ पयालन कर गए थे। वहां पर मरूस्थल को अपनी मेहनत और लगन से उपजाऊ बना दिए। हरियाली नाचने लगी थी, भूमि से ‘सोना’ निकलने लगा था। मात्र दो पुस्त भी नहीं बिता था कि अब दोबारा इनको मूल आवास यानि पूरब की तरफ वापस आना पड़ा।
2 Comments