Home धर्म / इतिहास Muktsar Sahib : माघी मेले में उमड़ा आस्था का सैलाब, सिख संगत ने निकाला नगर कीर्तन, जो बोले सो निहाल से गूंजा धरती और आसमान

Muktsar Sahib : माघी मेले में उमड़ा आस्था का सैलाब, सिख संगत ने निकाला नगर कीर्तन, जो बोले सो निहाल से गूंजा धरती और आसमान

by Jharokha
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Muktsar Sahib : माघी मेले में उमड़ा आस्था का सैलाब, सिख संगत ने निकाला नगर कीर्तन, जो बोले सो निहाल से गूंजा धरती और आसमान

श्री मुक्तसर साहिब (Muktsar Sahib ) : चालीस मुक्तों की याद में आयोजित पंजाब के मुक्तसर साहिब का तीन दिवसीय ऐतिहासिक मेला सोमवार को संपन्न हो गया। श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के चाली मुक्तों की याद में लगने वाले इस मेले में आस्था के साथ-साथ राजनीतिक मंच भी सजते हैं। इस मेले में पंजाब सहित देश-विदेश से लोग आ कर पवित्र सरोवर में स्थान के बाद गुरु द्वारा सहिब में माथा टेकते हैं और कथा कीर्तन सुनकर खुद को धन्य समझते हैं।

तीन दिवसीय माघी मेले के तीसरे दिन सोमवान को गुरुद्वारा श्री दरबार साहिब के भाई महा सिंह दीवान हाल से भव्य नगर कीर्तन सजाया गया। यह नगर कीर्तन शहर के विभिन्न मार्गों और स्थानों से होता हुआ दोबारा गुरुद्वारा साहिब में आ कर संपन्न हुआ। श्री गुरु ग्रंथ साहिब की छत्रछाया व पांच प्यारों के नेतृत्व में निकाले गए इस नगर कीर्तन का भक्तों ने पुष्पवर्षा कर जगह-जगह भव्य स्वागत किया और संगत के लिए लंगर लगाए। धार्मिक तौर पर यह मेला वेशक संपन्न हो गया, लेकिन आम तौर पर यह मेला फरवरी के अंत तक चलता रहेगा।

निहंगों ने किया भक्ति और शक्ति का अनोखा प्रदर्शन

नगर कीर्तन के दौरान निहंग सिंहों की ओर से भक्ति और शक्ति का अनोखा प्रदर्शन किया है। निहंग सिंखों को गुरु की फौज का सिपाही माना जाता है। यह एक तरफ जहां गुरु के नाम का सिमरन करते हैं वहीं दूसरी तरफ धर्म की रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। इस दौर निहंगों में तलवार बाजी, घुड़सवारी, गतका आदि का अदृभुत प्रदर्शन किया, जिसे देख कर लोग दांतों तले अंगुली दबा रहे थे।

सशस्त्रों की प्रदर्शनी बनी आकर्षण का केंद्र

नगर कीर्तन के दौरान श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के सशस्त्रों की प्रदर्शनी लगाई गई है। इसमें गुरु गोबिंद सिंह जी की तलवारें, तीर-कमान, बरछे, खुखरी, ढाल आदि को संग्रहित किया गया था। यह प्रदर्शन भक्तों के लिए आकर्षण और कौतुहल का केंद्र बनी रही।

नूरदीन को भक्तों ने मारे जूते चार

मेले के दौरान मजार पर जूते मारने की भी परंपरा है। वैसे भी यहां गुरुद्वारा श्री दातुन साहिब मे जो भी भक्त माथा टेकने आता है वह नूरदीन पर की मजार पर जूते मार कर ही जाता है। यह परंपरा मुक्तसर की जंग से ही चली आ रहा है। बताया जाता है कि जिस स्थान पर गुरुद्वारा दातुनसर बना हुआ है वहीं गुरु गोबिंद सिंह तड़के दातुन कर रहे थे। इस दौरान नूरदीन नाम का एक मुगल फौजी पीछे से श्री गुरु गोबिंद सिंह जी पर वार करना चाहा, लेकिन गुरु ने लोटे के एक प्रहार से उसे वहीं ढेर कर दिया। इसके बाद से ही नूरदीन को जूते मारने की परंपरा चली आ रही है। आज भी जो श्रद्धालु यहां माथा टेकने आता है वह नूरदीन को जूते मार कर ही जाता है।

Jharokha

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