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अच्छी कमाई कर लेती हैं गैंगस्टर्स के जीवन पर बनी फिल्में

by Jharokha
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अच्छी कमाई कर लेती हैं गैंगस्टर्स के जीवन पर बनी फिल्में

सिद्धार्थ : पंजाबी फिल्‍म ‘शूटर’ को उसके रिलीज होने से पहले ही उसे हिंसक बता कर उसपर पाबंदी लगाना और उसके निर्माता-निर्देश पर केस दर्ज करने की खबरों ने देशभर के सिनेमा प्रेमियों का ध्‍यान अपनी ओर खिंचा था। गैंगस्‍टर्स के जीवन पर फिल्‍में बनना और उनपर विवाद खड़ा होना कोई नई बात नहीं है। यह निर्माता-निर्देशकों को भी पता होता है कि फिल्‍में जितनी ही विवादित होंगी उतना ही उनका प्रचार प्रसार होगा। दूसरे शब्‍दों में यह भी कहा जा सकता है कि फिल्‍मकार जानबूझ कर ऐसी विषय वस्‍तु चुनते हैं जिससे कि विवाद खड़ा हो और फिल्‍म रिलीज होने से पहले ही सुर्खियों में आ जाय।

गैंगस्‍टर्स के जीवन पर वर्ष 1970 से 2000 तक खूब फिल्‍में बनती रहीं । फर्क इतना है कि 70-80 के दशक में गैगस्‍टर्स की जगह डाकुओं के जीवन पर फिल्‍में बनती थीं। इन डाकुओं का आतंक उत्‍तर प्रदेश, राजस्‍थान और मध्‍य प्रदेश के कुछ हिस्‍सों में हुआ करता था। इन डाकुओं के ठिकाने हुआ करते थे चंबल के बीहड़। तब डाकुओं को बागी कहा जता था। वहीं, दूसरी ओर माया नगरी मुंबई में इन्‍हें डॉन कहा जाता था। लेकिन, अब बदलते समय के साथ इनकी जगह बड़े-बड़े शहरों के छोटे-छोटे अपराधियों ने ले ली, जिन्‍हे गैंगस्‍टर कहा जाने लगा। इन्‍हीं गैंगस्‍टर्स की जीवनी को 9mm के रुपहले पर्दे पर उतारने में हमारे फिल्‍मकार पीछे नहीं रहे। कमाई के चक्‍कर में भारतीय फिल्‍मकार रियल लाइफ के ‘बैड मैन’ को रील लाइफ में ‘हीरो’ बना कर रुपहले पर्दे पर पेश करते हैं।

मुंबई के डॉन पर बनी फिल्‍में

मुंबई के डान हाजी मस्‍तान से लेकर अबू सलेम तक पर बनी फिल्‍मों की बात करें तो एक लंबी लिस्‍ट तैयार हो जाती है। इनमें सन 1973 में बनी फिल्‍म ‘जंजीर’ को तब के डॉन करीम लाला के जीवन से जोड़ कर देखा जाता है। अमिताभ बच्‍चन, जया भादुरी और प्राण अभिनित इस फिल्‍म ने तब दुनियाभर में 6 करोड़ की कमाई की थी। बेशक इस फिल्‍म के किरदारों के नाम अलग-अलग थे, लेकिन जानकार इसे करीम लाला से प्रेरित मानते हैं।

इसी तरह अरुण गवली के जीवन पर 2017 में बनी फिल्‍म ‘डैडी’ ने भी दर्शकों का ध्‍यान अपनी ओर खींचा। इसमें अजुर्न रामपाल मुख्‍य किरदार में थे। इस फिल्‍म में गवली के डॉन से राजनेता बनने तक की पूरी कहानी दिखाई गई थी। यह बात दिगर है कि कमाई के मामले यह फिल्‍म फिल्‍मकारों की उम्‍मीद पर खरा नहीं उतरी। यही नहीं इसी साल एक और फिल्‍म बनी ‘रइस’ । यह फिल्‍म भी गुजरात के सबसे बड़े शराब माफिया अब्‍दुल लतीफ से प्रेरित थी। इस फिल्‍म में मुख्‍य किरदार में थे शाहरूख खान।

इसी तरह एक और गैंगस्‍टर माया दोलास और उसके एनकाउंटर से प्रेरित हो फिल्‍म बनी थी ‘शूट आउट एट लोखंडवाला’। इस फिल्‍म की कहानी एटीएस चीफ एए खान और और गैंगस्‍टर माया दोलास के इर्दगिर्द घूमती है। इस फिल्‍म ने भी करीब 86 करोड़ की कमाई की थी। ज्ञात हो कि 16 नवंबर 1991 को एटीएस चीफ ने 400 पुलिस कर्मियों के साथ लोखंडवाला कॉप्‍लेक्‍स में माया दोलास का एनकाउंटर किया था।

वर्ष 2013 में एक फिल्‍म आइ्र थी ‘ शूट आउट एट वडाला’ । यह फिल्‍म गैंगस्‍टर मान्‍या सुर्वे के एनकाउंटर पर आधारित थी। 11 जनवरी 1982 को मुंबई के डॉ: आंबेडकर कॉलेज वडाला में हुए इस एनपकाउंअर को माया नगरी का पहला एनकाउंटर बताया जाता है।

हाजीमस्‍तान पर बनी फिल्‍म

‘वन्‍स अपॉन ए टाइम इन मुंबई’ नाम की इस फिल्‍म में हाजी मस्‍तान व उसके गैंग को दिखाया गया है। 2010 में आई इस फिल्‍म के निर्देशक मिलन लुथ्रिया ने मस्‍तान और उसके संगठन के बारे में दिखाया है। 1960-70 के दौर में मुंबई में मस्‍तान का सिक्‍का चलता था। इस फिल्‍म में अजय देवगन और इमरान हास्‍मी मुख्‍य किरादार में थे। वेशक इस फिल्‍म में चरित्र के नाम बदल गए थे, लेकिन कथानक वस्‍तु वही था।

दाऊद पर बनी फिल्‍म ‘वन्‍स अपॉन अ टाइम इन मुंबई दोबारा’

१९९३ में मुंबई बम धमाकों का मास्‍टर माइंड और भारत सारकार का मेस्‍ट वांटेड दाउद इब्राहिम पर ‘ वन्‍स अपॉन अ टाइम इन मुंबई दोबारा’ नाम से फिल्‍म बन चुकी है। इसके अलावा दाऊद और टाइगर मेमन पर आधारित अनुराग कश्‍यप निर्देशित एक फिल्‍म आई थी ‘ब्‍लैक फ्राइडे’। इस फिल्‍म में मुंबई बम धमाकों को दिखाया गया था। यह फिल्‍म बॉक्‍स ऑफिस पर सफल रही और दुनियाभर में 74 करोड़ का बिजनेस किया था।

इस फिल्‍म को कई आवॉर्ड भी मिल चुके हैं। यही नहीं अंडर वर्ल्‍ड डॉन दाऊद की बहन हसीना की जिंदगी पर भी फिल्‍म बन चुकी है। ‘ हसीना द क्‍वीन ऑफ मुंबई’ नाम से बनी इस फिल्‍म में श्रद्धा कपूर और सिद्धार्थ कपूर लीड रोल में थे। कहा जाता है कि हसीना दाऊद की बेनामी संपत्तियों की देखभाल करती थी। इसीना की 2014 में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी। मुंबई की अंडर वर्ल्‍ड क्‍वीन के नाम से प्रसिद्ध हसीना के पति की इब्राहिम पार्कर की गैंगस्‍टर अरुण गवली ने हत्‍या कर दी थी।

किसको याद नहीं होगा दयावान का किरदार

वर्ष 1988 में विनोद खन्‍ना और फिरोज खान अभिनित ‘दयावान’ किसे याद नहीं होगी। यह फिल्‍म डॉन वरदराजन के जीवन पर आधारित थी। किसी जमाने में दक्षिण भारत से माया नगरी मुंबई आया वरदराजन, करीम लाला और हाजीमस्‍तान का मुंबई में अपना सिक्‍का चलता था। इन तीनों की तिकड़ी ने समंदर किनारे बसी मुंबई में काफी समय तक राज किया।

डाकुओं के जीवन पर बनी फिल्‍में

हम बात करें चंबल के बिहड़ों में रहने वाले डाकुओं की तो इनके जीवन पर अनगिनत फिल्‍में बन चुकी हैं। 1970 से 95 के दशक तक कई फिल्‍में बनीं। ये सभी फिल्‍में उस समय के प्रसिद्ध डाकुओं के जीवन से प्रभावित थीं। इनमें डाकू सुल्‍ताना, मलखान सिंह, मान सिंह, माधो सिंह, पुतली बाई आदि चर्चित रहीं। इन फिल्‍मों में उस जमाने के प्रसिद्ध अभिनेता दारा सिंह, प्राण, धमेंद्र, विनोद खन्‍ना, सुनील दत्‍त, कबीर बेदी, फिरोज खान आदि ने दमदार अभिनय किया था। ये सभी फिल्‍में उस दौर में सुपरहिट साबित हुईं।

बैंडिट क्‍वीन ने खींचा ध्‍यान

भोजपुरी फिल्‍मकार

इन ताम फिल्‍मों सबसे ज्‍यादा ध्‍यान दस्‍यु सुंदरी फूलन देवी के जीवन पर निर्मित फिल्‍म ‘बैंडिट क्‍वींन’ ने खींचा। शेखर कपूर निर्देश वर्ष 1996 में आई इस फिल्‍म में सीमा विश्‍वास, मनोज वाजपेई और निर्मल पांडेय ने दमदार भूमिका निभाई थी। उस समय विवादों में रही यह फिल्‍म देश-दुनिया में सुर्खियां तो बटोरी ही, कमाई के मामले में भी सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए कुल 21 करोड़ की कमाई की थी। इसके अलावा इरफान द्वारा अभिनित फिल्‍म ‘पान सिंह तोमर’ ने भी अच्‍छी कमाई की थी। यह फिल्‍म एक व्‍यक्ति के सैनिक से डाकू बने पान सिंह तोमर के जीवन पर आधारित थी।

बिहार के कोल माफिया पर फिल्‍म

कभी बिहार का हिस्‍सा रहे झारखंड आतंक का पर्याय रहे कोयला माफियर फैजल खान, सूरजभान आदि के जीवन पर आधारित फिल्‍म ‘गैंग्‍स ऑफ बासेपुर’ बनी थी। बिहार के ही रहने वाले प्रकाश झा के निर्देशन में बनी इस फिल्‍म में मनोज बाजपेयी और नवाजुद्दिन सिद्दिकी मुख्‍य भूमिका में थे। इस फिल्‍म ने उस समय कुल 27 करोड़ की कमाई की थी। इससे पहले वर्ष वर्ष 1998 में राम गोपाल वर्मा द्वारा निर्देशित फिल्‍म ‘सत्‍या’ आई थी। इस फिल्‍म ने भी उस समय 18 करोड़ से अधिक की कमाई की थी। फिल्‍म में भिखू महात्रे का किरदार निभा कर मनोज वाजपेयी ने दर्शकों में अपनी पहचान बनाई थी।

वेब सिरिज की रंगबाज

रंगबाज
रंगबाज

वेब सरिजि की फिल्‍म ‘रंगबाज’ उत्‍तर प्रदेश के गैंगस्‍टर श्री प्रकाश शुक्‍ला के जीवन पर बनी थी। 1995 आतंक का पर्याय रहे श्री प्रकाश शुक्‍ला का आतंक उत्‍तर प्रदेश, बिहार और दिल्‍ली में था। इस फिल्‍म की शूटिंग के दौरान गोरखपुर में जम कर बवाल हुआ था। 1995 के दौर में 22-23 साल के इस युवक के नाम से पुलिस प्रशासन के हाथ-पांव फूल जाते थे। इस फिल्‍म में अपराध और राजनीति के सुमेल को दिखाया गया है।

सच्‍ची घटना पर आधारित इस फिल्‍म में बेशक असली किरदारों का नाम बदल दिया गया था, लेकिन कथानक वही था। इस फिल्‍म में साकिब सलीम ने श्री प्रकाश का किरदार निभाया था। इस फिल्‍म में यह दिखाया गया था कि 22-23 साल के युवा श्रीप्रकाश शुक्‍ला के हाथों में स्‍वचालित एके 47 हथियार कैसे पहुंचता है। उत्‍तर प्रदेश के तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री कल्‍याण सिंह की हत्‍या की सुपारी लेने वाले शिवप्रकाश के एनकाउंटर के लिए पहली बार यूपी सरकार को एसटीएफ का गठन करना पड़ा था। वेशक यह फिल्‍म सिनेमा घरों में नहीं आई इंटरनेट पर घर बैठे लोगों खूब देखा।

इससे पहले अरशद वारसी अभिनित हिंदी फिल्‍म’ शहर’ आ चुकी है। इसमें पूर्वी उत्‍तर प्रदेश में रलवे के ठेके को लेकर किस तरह गैंगवार होता है। इसको रुपहले पर्दे पर उतारा गया था।
इसके बाद वेब सिरिज की ही एक और फिल्‍म आई थी ‘मिर्जापुर’ और ‘बंदूक’ इन फिल्‍मों में भी उत्‍तर प्रदेश के गैगस्‍टर्स को दिखा गया है।

भोजपुरी फिल्‍मकार भी पीछे नही

गैंगर्स्‍ट को भुनाने में भेजपुरी फिल्‍मकार भी पीछे नहीं हैं। हिंदी फिल्‍मों की तरह ही भोजपुरी में उत्‍तर प्रदेश के गैगस्‍टर ‘मुन्‍ना बजरंगी’ के जीवन पर फिल्‍म बन चुकी है। उल्‍लेखनीय है कि गत वर्ष 9 जुलाई 2019 को यूपी के बागपत जेल में मुन्‍ना बजरंगी की गोली मार कर हत्‍या कर दी गई थी। मूल रूप से उत्‍तर प्रदेश के जौनपुर जिले के रहने वाले मुन्‍ना बजरंगी की हत्‍या कि बाद इसकी जीवनी पर फिल्‍म बनाने की घोषणा भी कर दी गई है। चर्चा है कि इस पर काम भी शुरू हो चुका है। मेरठ के रहने वाले परशुराम शर्मा ने इस कहानी और डॉयलाग लेखन का काम भी शुरू कर दिया है। हलांकि अभी नाम की घोषणा नहीं हुई है लेकिन, जल्‍द ही गैगस्‍टर मुन्‍ना बजरंगी रुपहले पर्दे पर दिखाई देगा।

और अब पंजाब का ‘शूटर’

अब पंजाब का 'शूटर'
‘शूटर’

वैसे तो पंजाब के फिल्‍मकार क्षेत्रीय भाषा कि फिल्‍मों में पंजाब के अमीर बिरसे को दिखाते रहे हैं। लेकिन, इस बार निर्देशनिर्देश व प्रमोटर केवी ढिल्‍लों ने जोखिम उठाते हुए पंजाब, राजस्‍थान और हरियाणा में आतंक का पर्याय रहे गैंगस्‍टर सुखबीर सिंह उर्फ सुक्‍खा काहलवां के जीवन पर फिल्‍म बनाई, लेकिन इस फिल्‍म पर रिलिज से पहले ही प्रतिबंध लग गया। मूल रूप से जालंधर जिले के करतारपुर तहसील के गांव काहलवां का रहने वाला सुखा अपने नाम के आगे सर नेम काहलवां अपने गांव के नाम पर रखा था।

गैंगस्टर सुक्खा के पिता सुदर्शन सिंह और माता हरजिन्दर कौर दोनों एनआरआई हैं और वे अमेरिका में रहते हैं। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक गैंगस्टर सुक्खा पर ४० से अधिक मामले दर्ज़ थे। सुक्‍खा अपने को शॉर्प शूटर बताता था। गैंगस्‍टर सुक्‍खा कहलोंवाला की जालंधर कोर्ट में पेशी के बाद पटियाला के नाभा जेल लेजाते समय जनवरी 2015 में गैंगस्‍टर विक्‍की गौंडर और उसके साथियों ने फगवाड़ा के पास पुलिस हिरासत में अंधाधुंध फायरिंग कर उसकी हत्‍या कर दी थी। हलांकि विक्‍की गौंडर भी पुलिस एनकाउन्‍टर में 2019 में मारा जा चुका है। फिल्‍म शूटर पर प्रतिबंध लगाने के बाद प्रदेश सरकार इतनी शख्‍त हुई कि नशा और हथियारों के शौक को बढ़वा देने वाली फिल्‍मों पर प्रतिबंध लगाने के लिए भारत सरकार तक को पत्र लिख चुकी है।

फिल्‍म को फिल्‍म की तरह ही देंखे

यह पूछे जाने पर कि गैंगस्‍टर्स के जीवन पर बनी फिल्‍में समाज पर क्‍या असर डालती है। इसपर पंजाबी फिल्‍मों की एक्‍टर आरती पुरी कहती हैं कि फिल्‍मों को फिल्‍मों की तरह देखना चाहिए। क्‍योंकि हर सिक्‍के दो पहलू होते हैं। सिनेमा उद्योग है। निर्माता निर्देशक वही कहानी उठाते है, जिससे उनकी कमाई हो। दर्शकों को चाहिए कि वह सिनेमा को सिर्फ और सिर्फ मनोरंजन के लिए देखें। अगर हमें कभी फिल्‍म बनाने का मौका मिला तो मैं गैगेस्‍टर्स के जीवन पर कभी फिल्‍म नहीं बानाऊंगी।

Jharokha

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