
Eid Special इस्लाम धर्म में चांद का खास महत्व होता है। क्योंकि कोई भी धार्मिक कार्य चांद देख कर ही शुरू होता है। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक़ साल के दसवें महीने में शव्वाल महीने के पहले दिन Eid ईद अल फित्र मनाया जाता है। Hindu हिंदू धर्म में काल या समय की गणना सूर्य की गति पर होती है, जबिक इस्लाम में चांद की गति पर। इस लिए हिजरी कैलेंडर चांद आधारित होता है। चांद आधारित कैलेंडर यह दिन हर साल दस-ग्यारह दिन बढ़ जाता है जो रमजान महीने के खत्म होने के बाद मनाया जाता है।
इस्लाम जिसे मुस्लिम धर्म कहते हैं में चांद के दिखने पर कैलेंडर तय होता है। मुस्लिम धर्मावलंबियों के अनुसार जब मुहम्मद साहब मक्का से मदीना लौटे थे तो हिजरी कैलेंडर यानी इस्लामिक कैलेंड की शुरुआत हुई थी। उन्होंने चांद के दिखने और न दिखने पर दिन और महीनों का हिसाब तय किया था। हाफिज मोहम्मद असलम के अनुयार यह आधिकारिक तौर पर ख़लीफ़ा उमर इब्न अल खताब के समय में शुरू हुआ था। उन्होंने बताया कि मुहम्मद साहब 622 ईस्वी में मक्का से मदीना गए थे और तभी से इस्लामिक कैलेंडर की शुरुआत हुई थी।
रमजान के अंत में ही ईद क्यों मनाई जाती है के सवाल पर हाफिज मोहम्मद सोएब अंसारी कहते हैं हिजरी कैलेंडर का नवां महीना रमज़ान का होता है। मुस्लमान इस महीने में तीस दिन रोज़ा रखकर ऊपर अल्लाह ताला से बरक़त के लिए दुआ मांगते है। इस महीने को धूम-धाम से विदा किया जाता है। मोहम्मद सोएब के अनुसार रमजान के खत्म होते ही शव्वाल का महीना शुरू होता है। इस्लामी कैलेंडर चांद की गति पर आधारित होता है। शव्वाल ( हिजरी कैलेंडर का नवां महीना) महीने की शुरुआत भी चांद के दिखने से होती है। मोहम्मद सोएब के अनुसार चांद के दिखने का मतलब पाक रमज़ान के महीने का समाप्त होना और नए महिने का शुरू होना होता है। इसलिए रमजान के पाक महीने के खत्म होने की खुशी में चांद देख कर ईद (Eid) मनाई जाती है।