
फोटो स्रोत : गुगल
सनातन धर्म में मकर संक्रांति के दिन बंगाल में स्थित गंगा सागर Ganga Sagar में स्नान-दान का विशेष महत्व है। Makr Sankranti मकर संक्रांति दिन गंगा सागर Ganga Sagar में मेले का आयोजन किया जाता है। यहां हर वर्ष देश विदेश से हिंदू धर्मावलंबियों के अलावा सनातन संस्कृति को देखने और समझने बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। आइए जानते और समझते हैं इस गंगा सागर मेले का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व क्या है।
गंगा सागर एक बार ही क्यों
गंगा सागर की तीर्थ यात्रा को लेकर आम जनमानस में प्रचलित है कि ‘सारे तीरथ बार-बार, गंगा सागर एक बार.’ । इसके पीछे की तर्क है कि किसी श्रद्धालु को सभी तीर्थों की यात्रा से जो पुण्यफल मिलता वह मात्र गंगा सागर Ganga Sagar की तीर्थयात्रा करने और यहां स्नान करने से मिलता है।
Ganga Sagar में मकर संक्रांति के दिन ही स्नान क्यों
उल्लेखनीय है कि गंगा सागर मेला (Ganga Sagar Mela 2023) बंगाल में कोलकाता Kolkata के पास हुगली नदी के तट पर लगता है। यह वहीं स्थान है जहां से पतितपावनी गंगा नदी बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती है। इस जगह को गगा सागर कते हैं, क्योंकि यहां गंगा और सागर का मिलन होता है। कहा जाता है कि यहां मकर संक्रांति के दिन स्नान से सभी तिर्थों के बराबर पुण्य मिलता है। मान्यता है कि मकर संक्रांति Makar Sankranti के दिन यहां पर यहां स्नान करने पर 100 अश्वमेध यज्ञ करने का पुण्य फल प्राप्त होता है।
शिव की जटा से निकल कर कपिल मुनि के आश्रम तक पहुंची थीं गांगा
धर्म कथाओं के अनुसार मां गंगा भगवान शिव की जटा से निकलकर पृथ्वी पर बहते हुए ऋषि कपिल मुनि के आश्रम में पहुंची थी और यहीं वह सागर मिली थीं। जिस दिन गंगा और सागर का मिलन हुआ था वह दिन था मकर संक्रांति का। गांगा सागर में ही ऋषि कपिल मुनि का आश्रम था। वर्तमान में यहां कपिल मुनि का भव्य और प्राचीन मंदिर भी है। कपिल मुनि को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार कपिल मुनि के समय राजा सगर ने अश्वमेध यज्ञ के लिए यज्ञ के घोड़ों को स्वतंत्र छोड़ा था। इन घोड़ों की रक्षा के लिए राजा सगर ने अपने 60 हजार पुत्रों को भी इनके साथ भेजा था।
एक दिन अश्व के अचानक गायब हो जाने से सब चिंतित हो गए. जो कि बाद में कपिल मुनि के आश्रम में जाकर मिला। राजा के पुत्रों ने यहां जाकर कपिल मुनि के साथ अभद्रता की, जिससे क्रोधित हो कपिल मुनि ने उन्हें अपने श्राप से भष्म कर दिया।
भगीरथ ने अपने पूर्वजों को तारा था
कहा जाता है कि जब कपिल मुनि के श्राप से सगर के पुत्रों को कई वर्षों तक मुक्ति नहीं मिली तो राजा सगर के पौत्र भगीरथ ने कपिल मुनि के आश्रम पहुंचे और उनकी तपस्या कर अपने पुरखों की मुक्ति का उपाय पूछा। उस समय कपिल मुनि ने उन्हें गंगा जल से मुक्ति पाने का उपाय बताया। कपिल मुनि के बताए अनुसार राजा भगीरथ कठिन तप करके गंगा को पृथ्वी पर लाए। और कपिल मुनि के आश्रम तक लाकर अपने पुर्वजों का उद्धार किया।