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वैसे तो वर्ष में 12 संक्रांति पड़ती है लेकिन, माघ माह की संक्रांति का सनातन धर्म में विशेष महत्व होता है। इसे मकर संक्रांति (Makar Sankranti ) कहा जाता है। क्योंकि इसी दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं।
मरकर संक्रांति को उत्तर भारत समेत देश के कई राज्यों में धूम धाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग गंगा सहित देश की पवित्र नदियों में स्नान कर दान पुण्य करतें है। मकर संक्रांति के दिन लोग खिचड़ी का प्रसाद बनाते हैं। इस दिन गोरखपुर स्थित बाबा गोरक्ष धाम में खिचड़ी का विश्व प्रसिद्ध मेला भी लगता है। हर साल (Makar Sankranti ) मकर संक्रांति को 14 जनवरी के दिन मनाया जाता है लेकिन, ग्रहों की चाल या उदयातिथि के अनुसार कभी-कभी मकर संक्रांति 15 जनवरी को भी मनाई जाती है। मकर संक्रांति को लेकर अक्सर 14 और 15 जनवरी को लेकर लोगों के बीच कंफ्यूजन रहती है। आइए जानते हैं इस साल मकर संक्रांति का कब मनाया जाएगा ।
जानेंं कब है शुभ मुहुर्त
पं: नंद किशोर मिश्र कहते हैं कि पंचांग के अनुसार 14 जनवरी 2023 को रात को 8 बजकर 14 मिनट पर सूर्य मकर राशि में गोचर करेंगे। इस गोचर के बाद ही मकर संक्रांति का मनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि उदयातिथि के अनुसार मकर संक्रांति यानि खिचड़ी 15 जनवरी को मनाया जाएगा और इसी दिन स्नान दान आदि करने का प्रावधान है। पं: नंदर किशारो मिश्र के अनुसार खिचड़ी के दिन गंगा स्थान का शुभ मुहूर्त सुबह 7: 15 मिनट से शुरू होकर शाम के 5: 46 मिनट तक रहेगा। पुण्य काल मुहूर्त सुबह 7 : 15 से दोपहर 12: 30 बजे तक रहेगा।
मकर संक्रांति पर करें सूर्य और भगवान विष्णु की पूजा
इस दिन स्नान के बाद भगवान सूर्य को जल देने का विधान है। स्नान के बाद भगवान सूर्य को जल देने के साथ ही भगवान विष्णु की आराधाना करें। मकर संक्रांति को तांबे के पात्र में जल, गुण और गुलाब की पत्तियां, पंखुड़ियां डाल कर भगवान सूर्य को अर्घ्य दें। गुड़, तिल और मूंग की दाल और चावल जरूरतंद को दान करें। मूंग की दाल, चावल अदरक आदि डाल कर शाम को खिचड़ी का प्रसाद भगवान को चढ़ाएं और सेवन करें। सुबह में गुड़, चूड़ा और दही का सेवन करें। भगवान विष्ण और सूर्य का ध्यान करें। इस दिन गायत्रि चालीसा पढ़ने से पुण्य मिलता है। सूर्य चाली भी पढ़ सकते हैं।