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जाति उमरा (तरनतारन) : पाकिस्तान के 23वें प्रधानमंत्री मियां शहबाज शरीफ का पंजाब से गहरा रिश्ता है। पाकिस्तान में यदि शरीफ परिवार को कुछ होता है तो उसका असर सरहद के इस पार लाहौर से करीब 81 किलोमीटर दूर बसे पंजाब के तरनतारन जिले के गांव जाति उमरा में पड़ता है। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री मियां नवाज शरीफ या पाकिस्तान के मौजूदा प्रधानमंत्री मियां शहबाज शरीफ को खरोंच आती है तो चीख जाति उमरा के लोगों की निकलती है।
जाति उमरा के लोग कहते हैं कि इस गांव के लोगों का संबंध मियां शहबाज शरीफ के परिवार से मांस और नाखून का है।
दरअसल, जाति उमरा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री मियां शहबाज शरीफ का पुश्तैनी गांव है। इस गांव में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के परदादा मियां मोहम्मद बख्श की कब्र है। इसी गांव की माटी में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और उनके बड़े भाई पूर्व प्रधानमंत्री मियां नवाज शरीफ के पिता रमजान की यादें बसी हैं। आजादी से पहले जाति उमरा में ही एक छोटे से घर में शहबाज शरीफ का परिवार रहा करता था। आज भी इस गांव में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के परदादा मियां मोहम्मद बख्श की कब्र है, जिसपर गांव के लोग चादर चढ़ाते हैं और शरीफ परिवार की सलामती की दुआ करते हैं।
करीब दो-ढाई सौ घरों वाले इस गांव में एक ही गुरुघर है। चारों तरफ से सड़कों से घिरे जाति उमरा के लोग कहते हैं कि यह गुरुघर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री मियां शहबाज शरीफ के पुरुखों की जमीमन पर शरीफ परिवार की रजामंदी से बना है। वर्ष 1932 से पहले इस जगह पर शहबाज शरीफ का परिवार रहा करता था। गांव के लोगों का कहना है कि वे लोग जब भी इस गुरुघर में माथा टेकते हैं तो शहबाज शरीफ के परिवार को याद करते हैं।
गांव जाति उमरा के रहने वाले सौ साल के बुजुर्ग ज्ञान सिंह कहते हैं हम और शहबाज के पिता रमजान और उसका भाई इसी गांव की गलियां में खेला करते थे। साथ ही भैस चराते थे, गिल्ली डंडा खेते और भंगड़े पाते थे। ज्ञान चंद कहते हैं पाकिस्तानी प्रधानमंत्री मियां शहबाज शरीफ के दादा यहां के तगड़े हकीम हुआ करते थे। जबिक उनका भाई रेल डिब्बा कारखाना में नौकरी करता था।
ज्ञान सिंह कहते हैं शहबाज शरीफ का परिवार अंग्रेजों के समय में ही 1932 में गांव जाति उमरा से लाहौर जा कर बस गया था। इसके बाद देश आजाद हुआ और 1947 में देश के दो टुकड़े हो गए। लेकिन पाकिस्तान बनने बाद भी सरहद के उसपार बसे शरीफ परिवार का अपने पुश्तैनी गांव जाति उमरा से लगाव कम नहीं हुआ। वहां पर शरीफ परिवार ने करीब 137 एकड़ में एक नया जाति उमरा बसाया जहां नवाज शरीफ का फार्म हाउस है।
गांव के बलविंदर सिंह बताते हैं आज भी इस गांव के लगभग 40 युवा दुबई में मियां शहबाज शरीफ व नवाज शरीफ के कारखानों में नौकरी करते हैं।
डा: दिलबाग सिंह गांव के बाहर लगे एक शिलापट्ट को दिखाते हुए कहते हैं कि यह पत्थर 2013 में तब लगाया गया था जब शहबाज शरीफ पाकिस्तानी पंजाब के मुख्यमंत्री हुआ करते थे। साल 2013 में उस समय पजांब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के बुलावे पर शहबाज शरीफ अपने पुश्तैनी गांव जाति उमरा में आए थे और 33 करोड़ रुपये के कार्यों का शिलान्यास करने के साथ ही अपने परदादा मियां मोहम्मद बख्श की कब्र पर चादर चढ़ाने के बाद फातिहा पढ़ी और उनकी याद में दरख्त लगाए और पाकिस्तान लौटते समय इस गांव की माटी अपने साथ ले गए थे। हालाकि इससे पहले नवाज शरीफ 1982 में जाति उमरा में आए थे और अपने दादा की कब्र पर चादर चढ़ाए थे।
दिलबाग सिंह कहते हैं कि गुरु पर्व पर यहां संगत के साथ गांव के भी कुछ लोग पाकिस्तान स्थित ननकाना साहिब गए थे। वापसी में गांव के लोग मियां शहबाज शरीफ के परिवार से मिल कर आए। शरीफ परिवार ने उनको बहुत मान बख्शा। वे कहते हैं कि शरीफ परिवार के लोग चाहते हैं कि भारत और पाकिस्तान के रिश्ते जल्द से जल्द सुधरें।