Home धर्म / इतिहास shri krishan jamashtmi : भगवान श्रीकृष्ण के माथे पर कैसे सजा मोर पंख, यह राधा रानी का प्रेम है या कुछ और

shri krishan jamashtmi : भगवान श्रीकृष्ण के माथे पर कैसे सजा मोर पंख, यह राधा रानी का प्रेम है या कुछ और

by Jharokha
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shri krishan jamashtmi: How is the peacock feather decorated on the forehead of Lord Krishna, is it the love of Radha Rani or something else?

shri krishan jamashtmi : भगवान वष्णु के अब तक जितने भी अवतार हुए हैं, उनमें केवल श्रीकृष्ण अवतार ही ऐसा है, जिसमें वह अपने सिर पर मोर मुकुट धारण करे हैं। भगवान श्रीकृष्ण के कुल 108 नाम हैं। इन 108 नामों में से एक नाम मोर मुकुटधारी भी है। कृष्ण को यह नाम सिर पर मोरपंख लगाने के वजह से मिला है। आइए जानते हैं कृष्ण ने अपने माथे पर मोर पंख क्यो लगाया और इसका रहस्य क्या है।

राम और कृष्ण से जुड़ा किस्सा

पहली मान्यता के अनुसार मोर पंख का पौराणिक किस्सा भगवान श्री राम और कृष्ण दोनों से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि वनवास के दौरान सीता जी को बहुत तेज प्यास लगी। दूर-दूर तक कहीं पानी दिखाई नहीं दे रहा था। इधर प्यास के कारण सीता जी की व्याकुलता बढ़ती जा रही थी। इसे देख कर भगवान राम मन ही मन प्रकृति देवी की आराधना करने लगे कि हे देवी आप ही कुछ रास्ता सुझाओ। अभी वो प्रार्थना कर रही रहे थे कि उनके सामने एक एक मोर आ पहुंचा। उसने श्री राम कहा आगे कुछ दूर पर एक तालाब है। चलिए मैं आपको रास्ता बताता हूं, लेकिन रास्ते में कुछ गलती होने की संभावना भी है। तब राम ने मोर से पूछा आप ऐसा क्यों कर रहे हैं ? इस पर मोर ने कहा, मैं उड़ता हुआ जाऊंगा और आप चल कर। इसलिए मैं रास्ते में एक-एक पंख गिराता चलूंगा और आप उसके सहारे तालाब तक पहुंच भी जाएंगे।
अपने कहे अनुसार मोर पंख गिराता हुआ आगे-आगे उड़ रहा था और पीछे-पीछे रघुनाथ (श्री राम) सीता और लक्ष्मण के साथ चल रहे थे। तालाब तक पहुंच कर पंख हीन मोर की मौत हो जाती है। तब राम कहते हैं- हे मयूर मैं आपका ऋणि हूं। यह ऋण अगले जन्म (अवतार) में उतारूंगा। कहा जाता है कि जब भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण का अवतार लिया तो इसी ऋण को चुकाने के लिए उन्होंने मोर पंख अपने सिर पर धारण किया, जिस कारण उनका नाम मोर मुकुट धारी पड़ा।

राधा-कृष्ण प्रेम का प्रतीक है मोरपंख

दूसरी मान्यता के अनुसार भगवान कृष्ण एक बार वृंदावन में गायों को चराते समय बांसुरी बजा रहे थे। बांसुरी की धुन पर राधा रानी नाच रहीं थीं। बांसुरी की मधुर धुन सुन कर एक मोर भी चला आया और वह राधारानी संग नाचने लगा। इस दौरान उसका एक पंख जमीन पर गिर पड़ा, जिसे उठा कर भगवान श्रीकृष्ण ने अपने मुकुट में सजा लिया। तभी से मोरपंख उनके सिर पर सजने लगा। इसे राधा-कृष्ण के प्रेम का प्रतीक भी मानते हैं। कहते हैं जब तक कृष्ण के सिर पर मोर पंख न सजे तब तक उनका शृंगार भी अधुरा रहता है।

कालसर्प दोष दूर करने के लिए धारण किया मोर पंख

तीसरी मान्यता के अनुसार गवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण की कुंडली में कालसर्प दोष था। पौधाराणिक कथाओं के अनुसार इस दोष को दूर कने के लिए ही भगवान ने मोरपंख धारण किया था। दरअसल, मोर और सांप एक दूसरे के दुश्मन माने जाते हैं। ऐसे में कहा जाता है कि मोर पंख धारण करने से कालसर्प दोष दूर हो जाता है। इसलिए भगवान श्रीकृष्ण के सिर पर मोरपंख लगाया गया था जो आगे चल कर उनका प्रतीक और शृंगार बन गया।

 

Jharokha

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