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वह ब्राह्मण राजवंश, जिन्होंने चीन पर भी किया था शासन, कांपते थे हूण और यवन

बात जब राजाओं की आती है तो बस एक ही ख्याल जेहन में आता है क्षत्रियों का। क्योंकि बचपन से जो हम कहानियां सुनते हैं या राजवंशों का इतिहास पढ़ते हैं तो उसमें राजपूत राजाओं ka जिक्र होता है। लेकिन हम यह नहीं जानते राजपूतों के अलावा भी कई ऐसे राजवंश है जिन्होंने अखंड भारत पर शासन किया है और अपने नाम के सिक्के चलाए हैं। तो आइए हम जानते हैं कुछ ऐसे ही राजवंश के बारे में जिनका कर्म तो क्षत्रिय का था लेकिन, वह जन्म और जाति से ब्राह्मण थे।

अब इतिहास के पन्नों को पलटते हैं। इनमें सबसे पहला नाम सातवाहन राजवंश का आता है। इतिहासकारों के मुताबिक सातवाहन राजवंश भारत का प्राचीन ब्राह्मण राजवंश था। इनका शासन काल 60 ईसी पूर्व से 240 ईसा पूर्व तक था। भारतीय इतिहास में सातवाहन राजवंश को ‘आन्ध्र वंश’ के नाम से भी जानता जाता है।

कण्व राजवंश

यह भी जाति से ब्राह्मण थे। इतिहास में इन्हें ‘काण्व वंश’ या ‘काण्वायन वंश’ के नाम से जाना जाता है। कण्व राजवंश का शासन काल लगभग 73 ईसा पूर्व से 28 ईसा पूर्व तक था। इतिहासकारों के मुताबिक मेघस्‍वाती नामक राजा ने कणवायन ब्राह्मणों से ही मगध का राज्य जो अब पटना के नाम से जाना जाता है को लिया था।

शुंग राजवंश

यह प्राचीन भारत का एक शासकीय वंश था। शुंग राजवंश ने मौर्य राजवंश के पतन के बाद मगध पर शासन किया। शुंग राजवंश का शासन उत्तर भारत में 187 ईसा पूर्व से 75 ईसा पूर्व तक यानि कुल 112 वर्षों तक रहा था। कहा जाता है कि मौर्य वंश के सबसे दुर्बल शासक बृहद्रथ की हत्या कर उसके सेना पति पुष्यमित्र शुंग ने शुंग राजवंश की स्थापना की। इस राजवंश का पहला शासक पुष्यमित्र शुंग था, जिसने चीनni आक्रमणकारियों को एक नहीं दो-दो बार हरा कर भातर की सीमा से बाहर किया था।

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वाकाटक राजवंश

इतिहासकारों के मुताबिक सातवाहनों के बाद वाकाटक राजवंश दक्षिण में एक महत्वपूर्ण शक्ति के रूप में उभरा। इनका शासन काल 300 से 500 ईसवी तक माना जाता है। तीसरी शताब्दी ईसवी से छठी शताब्दी तक यानि करीब 200 साल तक दक्षिणापथ में शासन करने वाले समस्त राजवंशों में वाकाटक वंश सर्वाधिक सम्मानित और शक्तिशाली था।

चुटु राजवंश

इस राजवंश का संस्थापक भी ब्राह्मण था। चुटु राजवंश के शासकों ने दक्षिण भारत में ईसा पूर्व पहली शताब्दी से लेकर तीसरी शताब्दी तक शासन किया। चुटु राजवंश की राजधानी वर्तमान कर्नाटक के उत्तर कन्नड जिले के बनवासी में थी। इतिहासकारों के अनुसार चुटु शासकों के शिलालेख कर्नाटक से प्राप्त सबसे प्राचीन शिलालेख हैं।

कदंब राजवंश

दक्षिण भारत का एक प्राचीन कालीन ब्राह्मण राजवंश था। कदंब कुल का गोत्र मानव्य था। कदंब राजवंश के लोग अपनी उत्पत्ति हारीति से मानते थे। ऐतिहासिक प्रमाणों से पता चलता है कि कदंब राजवंश का संस्थापक मयूर शर्मन्‌ नाम का एक ब्राह्मण था जो विद्याध्ययन के लिए कांची में रहता था और किसी पल्लव राज्यधिकारी द्वारा अपमानित होकर जिसने चौथी शती ईसवी के मध्य (लगभग 345 ई.) अपने अपमान का बदला लेने के लिए कर्नाटक में एक छोटा सा राज्य स्थापित किया था। इस राज्य की राजधानी वैजयंती थी ।

गंग राजवंश

पश्चिमी – दक्षिण भारत (वर्तमान कर्नाटक) का एक प्रसिद्ध राजवंश था। इतिहासकारों के मुताबिक इस वंश का शासन 250 ईसवी से 1000 ईसवी तक था। गंग राजवंश के लोग काण्वायन गोत्र के थे। इस वंश का संस्थापक कोंगुनिवर्मन अथवा माधव प्रथम था। गंग राजवंश करीब करीब 150 साल तक शासन किया। इनका शासनकाल 250 से 400 ईसवी के बीच रहा।

वर्मन राजवंश

यह राजवंश भी ब्राह्मण जाति से था। यह प्राचीन भारत का एक मात्र ऐसा राजवशं है जिसने चीन पर भी शासन किया और अपने नाम के सिक्के चलाए। इतिहासकारों के मुताबिक धर्म महाराज श्री भद्रवर्मन् जिसका नाम चीनी इतिहास में फन-हु-ता के नाम सं मिलता है। इस राजवंश कें 380 से 413 ईसवी तक शासन किया। वर्मन राजवंश के संस्थापक श्री भद्रवर्मन को माना जाता है।

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संगम राजवंश

संगम राजवंश की स्थापना विजयनगर साम्राज्य के ‘हरिहर’ और ‘बुक्का’ ने अपने पिता “संगम” के नाम पर किया था। इनका शासन काल 1336-1485 ई. तक माना जाता है। ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार विजयनगर साम्राज्य पर राज करने वाला संगम प्रथम ब्राम्हण शासक था ।

सालुव राजवंश

इस वंश का संस्थापक ‘सालुव नरसिंह’ था। 1485 ईसवी में संगम वंश के विरुपाक्ष द्वितीय की हत्या के बाद नरसिंह के सेनापति नरसा नायक ने विजयनगर साम्राज्य पर अधिकार कर सालुव नरसिंह को वहां का राजा

चच राजवंश

इनका शासनकाल ईस्‍वी सन् 769 के असापास था। चच और चन्‍द्र ये दोनों ही राजा ब्राह्मण थे। ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार चच पुत्र दाहिर को मुहम्‍मद इब्‍न कासिम ने युद्ध में हराया था। इसी तरह ईसवी सन 977 के पहले बठिंडा जयपाल का राज्‍य था। जयपाल भी ब्राह्मण शासक था। जयपाल को हराकर सुबुक्‍तगीन ने भठिंडा को अपनी राजधानी बनाया था।

अब बात करते हैं मध्यकालीन इतिहास की तो इसमें जो उभरकर नाम आता है वह पेशवाई या पेशवा राजवंश। पेशवाओं ने भारत के विभिन्न हिस्सों में 1714 – 1818 ईसवी तक यानी करीब 100 साल तक शासन किया। इनमें बाजीराव पेशवा का नाम प्रमुख है।
इसके अलावा अंग्रेजों के राज में ब्राह्मण शासकों का दबदबा रहा है। इन शासकों में दरभंगा नरेश, काशी नरेश, जौनपुर नरेश, बेतिया नरेश , टिकारी नरेश, अयोध्या राज, हथुआ, तमकुही, अनापुर, अमावा, बभनगावां, भरतपुरा , धरहरा राज, शिवहर राज, मकसुदपुर आदि में शासन रहा।








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