
प्रतिकात्मक फोटो । सोशल साइट़
समीर राम! एक ऐसा नाम जो खुद संपूर्णता लिए हुए है। राम, एक ऐसा व्यक्तित्व है जो युगों-युगों से एक आदर्श समाज का नेतृत्व करता रहा है। राम, दो अक्षरों से मिल कर बना एक ऐसा नाम है जो अभिवाद, नमस्कार का पर्यायवाची है। राम प्रतिनिधत्व करते हैं मानवीय मूल्यों, संस्कारों। यानी राम हममें-तुममें सबमें रमा है। राम अयोध्या नरेश महाराज दशरथ के पुत्र ही नहीं वह बहुरंगी फूंलों की माला की उस डोरी की के समान हैं, जों समाज के हर तबके के लोगों को साथ लेकर चलते हैं।Vijyadashmi 2021
श्री राम एक आज्ञाकारी पुत्र हैं, तो आदर्श पित और भाई भी। राम कथा के विभिन्न भाषा में सैकड़ों संस्करण हैं। आदि कवि महर्षि वाल्मिकी और गोस्वामी तुलसी दास से लेकर अनेकों विद्वानों को श्री राम के ईश्वरत्व पर पूर्ण यकीन था, लेकिन सबने राम को एक आदर्श पुरुष के रूप में निरुपित िकया है।
राम इतने त्यागी हैं घर में उनके राज्याभिषेक की तैयारियां चल रही होती हैं, लेकिन पिता के एक बार कहने पर बिना किसी किंतु-परंतु के वलकल वस्त्र घारण कर १४ वर्ष के लिए वन जाने को सहर्ष स्वमीकार कर लेते हैं। लंका विजय के बाद राम चहते तो ‘लंका पति’ बन सकते थे। या लंका का राज्य भाई लक्ष्मण को सौंप सकते थे पर, लेकिन उन्होंने लंका का राज्य विभिषण को सौंपा।
राम जब राजमहल से वन को निकलते हैं तो अकेले होते हैं। साथ में पत्नी धर्म निभाती हुईं सीता और भ्रातृत्व प्रेम व धर्म निभाने वाले लक्ष्मण होते हैं। वन गमन के १४ वर्ष के इस लंबे सफर में उन्हें नर-वानर जो मिला उसे अपनाते गए। प्रेम की भूख इतनी कि पूछो मत। सबरी के जूठे बेर तक खा लेते हैं। Vijyadashmi 2021
भगवान विष्णु के 7वें अवतार कहेजाने वाले राम किसी साधारण पुरुष की भांति पत्नी का अपहरण होने पर उसे वन-वन ढूढते हैं, लोगों से पूछते हैं, वह भालु और वानरों के सहयोग से सेना संगठित करते हैं। समुद्र पर सेतु बनाने के लिए समुद्र से अनुनय-विनय करते हैं। चाते तो वह युद्ध अकेले जीत सकते पर एक साधारण पुरुष तहर पूरी सेना को साथ लेकर रावण से युद्ध लड़ा। लक्ष्मण को शक्ति लगती है तो एक आम इंसान की तरह फूट-फूट कर रोते हैं।
राम उदार इतने कि लंका विजय का श्रेय वानर सेना को देते हैं। राम पर वनवास का दुख लेसमात्र भी नहीं है। राम दुख या सुख सबमें समभाव एक समान प्रसन्न रहते हैं। राम जाति वर्ग से परे हैं। कुलीन होते हुए भी शबरी, निषादराज और केवट से अगाध प्रेम करते हैं। क्षमाशील इतने कि राक्षसों को भी मुक्ति देने में तत्पर रहते हैं।
भारतीय समजा में मानवीय मूल्यों, मर्यादा, आदर्श, विनय, विवके, लोकतांत्रिक मूल्यों और धीरज का नाम राम है। राम जब घर चले थे तो पत्नी और भाई साथ थे, पर जब 14 बरस बाद लौटे तो उनके साथ पूरी फौज थी। राम ने हमेशा पिरवार से पहले प्रजा के हितों को सर्वोपरि रखा। एक धोबी के संदेह पर पत्नी पत्नी सीता का त्याग करने में पल भर की देर नहीं लगाई, ऐसा था राम का नेतृत्व और राम राज्य।
तभी तो गांधी ने राम राज्य का सपना देखा था। राम देश की एकता के प्रतीक हैं। दो अक्षरों के इस नाम प्रभाव इतना गहरा है कि अंतिम यात्रा के समय ”राम नाम सत्य है” के बिना हमारी जीवन यात्रा पूरी नहीं होती।