
कहां से आई गांधी टोपी : भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों का प्रतिक गांधी टोपी के बारे में तो आप सभी जानते हैं, लेकिन गांधी जी तो टोपी पहनते ही नहीं थे, फिर भी सफेद खादी के कपड़े से बनी इस टोपी के साथ गांधी जी का नाम कैसे जुड़ गया। गांधी जी तो कभी टोपी पहनते नहीं थी, फिर भी इस टोपी को गांधी टोपी का नाम क्यों दिया गया।
गांधी जी ने आजादी की वर्दी यानी यूनिफार्म कैप के तौर पर प्रचलित किया। किसी नौका की तरह दिखने वाली सफेद खादी से बनी यह टोपी स्वाधीनता संग्राम का हथियार बन गई थी। स्वराज आंदोलन से जुड़ने वाला हर व्यक्ति इस गांधी टोपी को सिर पर धारण कर आजादी की लड़ाई लड़ी1 हलांकि गांधी जी की गांधी टोपी वाली फोटो एक या दो ही मिलती है। वह भी शुरूआती दिनों की कभी-कभार वाली। फिर भी इस टोपी को गांधी टोपी के नाम से जाना जाता है।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम या स्वराज आंदोलन के इतिहास में असहयोग आंदोलन की बहुत बड़ी भूमिका रही है। कहा जाता है कि जब 1914 में मोहन दास करमचंद गांधी वकालत की पढ़ाई करके भारत लौटे तो उस समय की उनकी जो फोटो है वह सिर पर पगड़ी वाली फोटो है, जैसे गुजराती या मराठी लोग बांधते हैं। चूंकि गांधी जी गुजराती थे, अत: वह अपनी पारंपरिक परिधान पगड़ी धारण किए हुए बम्बई आज के मुंबई बंदरगाह पर पोत से उतरे थे। हलांकि गांधी टोपी सन 1919 में चलन में आई।
कहा जाता है कि गांधी टोपी असहयोग आंदोलन के दौरान अपने वजूद में आई। गांधी टोपी का संबंध भी उत्तर प्रदेश से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि जब गांधी जी दक्षिण अफ्रीका से भारत आए तो वह उस समय के चर्चीत वकील गोपाल कृष्ण गोखले से बंबई में मिले। इस दौरान गोपाल कृष्ण गोखले ने उन्हें एक वर्ष तक भारत दर्शन की सलाह दी।
गोखले जी की सलाह पर भारत भ्रमण के लिए निकले गांधी जी उत्तर प्रदेश के रामपुर के नवाब से मिलने पहुंचे। वहां नियमों के मुताबिक नवाब सैयद हामिद अली खान बहादुर से मिलने पहुंचे । उस समय यह नियम थाकि नवाब खान बहादुर से मिलने वाला सिर ढक कर ही नवाब से मिल सकता था। अब गांधी जी के पास सिर ढकने के लिए कुछ था नहीं। आंदोलन के मशहूर अली ब्रदर्स मुहम्मद अली और शौकत अली की मां आबादी बेगम से खुद एक सादी सी टोपी सिलवाई और तब वह टोपी पहन कर गांधी जी नवाब से मिलने नवाब के महल में पहुंचे। और तभी से इस टोपी का नाम गांधी टोपी पड़ गया।
ब्रिटिश हैट का जवाब थी गांधी टोपी
स्वतंत्रता आंदोलन में स्वतंत्रा सेनानियों का प्रतिक बनी खादी की यह टोपी एक समय में अंग्रेजों को डराने लगी थी। अंग्रेज इस आजादी की इस वर्दी गांधी टोपी पर पाबंदी लगाने की सोचने लगे थे। क्योंकि एक तो यह टोपी स्वदेशी का भी प्रतीक बन गई थी। दूसरे शब्दों में कहें तो यह अंग्रेजों के हैट का जवाब थी खादी के कपड़े से बनी गांधी टोपी।
खादी की इस टोपी के साथ गांधी शब्द ऐसा जुड़ा कि यह गांधी टोपी के नाम से जानी जाने लगी। जिसे कई नेताओं मसलन लाल बहादुर शास्त्री, जवाहर लाल नेहरू, सुचेता कृपलानी के पति और खादी के सूत्राधारों में एक जेबी कृपलानी कई नेताओं ने भी पहना जो उनकी पहचान बन गई।